Dooriyan Shayari In Hindi : प्यार के रिश्ते में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती हैं, जब दूरी बन जाती है। यह दूरी इतनी बढ़ जाती है कि फिर से पास आना मुश्किल हो जाता है। प्यार में इतनी अधिक दूरी कभी न बढ़ने दें कि सामने वाला व्यक्ति आपसे दूर हो जाए। इससे बचने के लिए और अपना अहसास व्यक्त करने के लिए, हम आपके लिए कुछ खूबसूरत “Dooriyan Shayari In Hindi” लेकर आए हैं।
ये शायरी आपकी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करेगी। आप इन शायरी को अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं या अपनी इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप्प स्टेटस पर लगा सकते हैं, ताकि आपकी भावनाएं और प्यार उन तक पहुँच सके। तो चलिए चलते हैं Dooriyan Shayari In Hindi के एक और सुहावना सफर पर , हमें उम्मीद हैं की आपको ये शायरी जरूर पसंद आएगी।
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आए दूर जाने वाले इतना तो बता हमें,
याद रखूं तुझे या भूल जाऊं जीना ये जमाना।
तुमसे दूरी का एहसास जब सताने लगा,
तेरे साथ गुजारा हर लम्हा याद आने लगा,
जब भी कोशिश की तुझे भुलाने की,
तू और भी इस दिल के करीब आने लगा।
अपनी जीत पर इतना फक्र मत कर
कभी न कभी ये तुझसे जुड़ा हो जाएगी,
यकीं नहीं तो जा के मिटटी से पूछ
मुकद्दर का सिकंदर कहाँ है इस वक़्त,
दूरियाँ बहुत हैं मगर इतना समझ लो,
पास रह कर ही कोई ख़ास नहीं होता,
तुम इस कदर पास हो मेरे दिल के,
मुझे दूरियों का एहसास नहीं होता…..
दूरियाँ भी जरूरी हैं कुछ रिश्तों में,
वरना गुजरती है जिंदगी किश्तों मेंं!
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं
लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है.
दूरियों की ना परवाह कीजिये,
दिल जब भी पुकारे बुला लीजिये,
कहीं दूर नहीं हैं हम आपसे,
बस अपनी पलकों को आँखों से मिला लीजिये|
रिश्ते निभाना हर किसी के बस की बात नही..
अपना दिल दुखाना पड़ता है किसी और की खुशी के लिये..
जिन्दगी मे अगर प्यार न होता,
तो शायद उनके बिछड़ने का अहसास न होता।
अब जी लेँगे तन्हा अकेले यूँ ही,
क्योकी जिन्दगी मे सबकुछ पास नही होता।
आए चांद इतना भी न दूर रहो हमसे,
के तुम बिन जीना मुहाल हो जाए।।
बात कह दी जाए जुबां से जरूरी तो नहीं,
जिंदगी गुजरी है आधी पूरी तो नहीं,
समझेंगे वो निगाहों से मेरे दिल की दास्ताँ,
दूर बैठे हैं दिलों में दूरी तो नहीं?
जुदाई और दूरियों को कभी मत भूलना,
हर किसी से जुड़ा होने का गम नहीं होता,
जिसने दूरियां दी हो उससे मोहब्बत कम नहीं होता,
दूरियाँ ही नजदीक लाती हैं,
दूरियां ही एक दूजे की याद दिलाती हैं,
दूर होकर भी कोई करीब हैं कितना,
दूरियां ही इस बात का एहसास दिलाती हैं…..
कुछ तो कमी है मुझ में ,
शायद इस लिए तुझे भुला न सके,
जब भी देखता हूं चांद को रातों में,
याद आती है वो गुजरी हुई बातों में,
दूरी ऐसी कि मिटती ही नहीं,
मैं तेरे पास भी आऊँ तो कहाँ तक आऊँ।
जुदाई दूरियों से नहीं मन के मतभेद से होता है,
जिंदगी अच्छी पैसे से नहीं प्यार से होता है,
वक्त नूर को बेनूर कर देता हैं,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता हैं,
कौन चाहता हैं अपनों से दूर होना,
लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता हैं….
न तन्हाईयां मिलती न दूरियां होते,
काश अनजाने में ये मोहब्बत का सिल सिला न होते,
जिंदगी जीने का मकसद भी मेरा
किसी और से कम न होता,
न जाने करीब आना किसे कहते है,
मुझे तो आपसे दूर जाना ही नहीं आता।
उन्हें ले आना मेरे कब्र के पास आखिरी सलाम अच्छी होगी,
उस वक़्त मेरे जिस्म में जान न होगी पर मेरी जान तो मेरे कब्र के पास होगी,
ना दूर हमसे जाया करों, दिल तड़प जाता हैं,
आपके ख्यालों में ही, हमारा दिन गुजर जाता हैं,
पूछता हैं यह दिल एक सवाल आपसे,
क्या दूर रहकर भी आपको हमारा ख्याल आता हैं….
दूर जाके दूरियां बढ़ा गई,
ये कैसी बेवफाई थी तुम्हारी.
गम देके उम्र भर का मुझे ,
अकेला तड़पने को छोड़ गई.!!!
वो मेरा है तो वो मुझसे दूर क्यों है?
दूर रहकर जीने को हम मजबूर क्यों हैं?
गुनाह हम दोनो ने किया था एक जैसा,
तो मेरा कसूर क्यों है और वो बे कसूर क्यों है?
में तुझे दूरिया क्या दू वो हर पल तुझे मेरी याद दिलाये गा,
तू मेरी सांसे ही ले ले वो हर पल तेरे दिल में आता जाता रहेगा,
माना कि दूरियां कुछ बढ़ सी गयी हैं लेकिन,
तेरे हिस्से का वक्त आज भी तन्हा ही गुजरता हैं…
दूर रह कर मेरे इन बढ़ाया नही करते,
अपने यार को इस तरह यूं सताया नही करते,
जिन्हे वक्त हो इंतजार आपका….!!!!!!!!!
उसे अपनी आवाज के लिए तरसाया नही करते,
उस से दूर जाने का डर भी होता,
न पास रहने का हौसला होता,
न जाने फिर क्यूं ये मोहब्बत हमें,
अनजाना सा लगने लगता….!!!!
तमाम उम्र अपनी ज़िन्दगी से दूर रहे,
तेरी ख़ुशी के लिए तुझसे दूर रहे,
अब इससे बढ़कर वफ़ा की सज़ा क्या होगी,
कि तेरे होकर भी तुझसे दूर रहे।
दूर होके उनसे में सोच रहा हूँ,
लोग मरते है तो उनका गुरुर कहाँ चला जाता है,
तेरा मेरा दिल का रिश्ता भी अजीब हैं,
मीलों की दूरियां हैं और धड़कन करीब हैं…..
ये कैसी मोहब्बत थी तुम्हारी जो
मुस्कुराहट छीन ले गई हमारी,
नजदीक आने का वादा कर के
दूरियां बढ़ाए जा रही हो ठुकरा के वफाएं हमारी,
मेरी ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत होती,
अगर तेरी चाहत अधूरी न होती,
कुछ उलझनें कुछ मजबूरियाँ होती बेशक,
मगर प्यार में इतनी दूरी न होती।
इन राहों की दूरियां निगाहों की दूरियां
हम राहों की दूरियां फनाह हो सभी दूरियां
तालाब बुझती नहीं इन आखियों की जबसे तुझसे दूर हुए,
बहुत ही मासूम है यारों मोहब्बत मेरे नादाँ यार की,
बेवफाई यू न करो के जिंदगी अभी बाकी है,
न दूरियां बढ़ाओ के मोहब्बत अभी बाकी है,
एक मेरी मोहब्बत है जो तुम्हे भुला नहीं सकता,
और तुम कहती हो अब तुम में बचा ही क्या बाकी है,
तेरी नज़रों से ओझल हो जायेंगे हम,
दूर फ़िज़ाओं में कहीं खो जायेंगे हम,
हमारी यादों से लिपट कर रोते रहोगे,
जब ज़मीन की मट्टी में सो जायेंगे हम,
बातो बातो में वो हमसे जुदा हो गई,
क्यों मोहब्बत हमारी ऐसे कमजोर हो गई,
जिस पे नाज था हमें अपनी वफाओं का.
आज वो हमारी जिंदगी से अलग होने की बाते कह गई।।
दूरी ऐसी है कि मिटती ही नहीं है,
मैं तेरे पास भी आऊँ तो कहाँ तक आऊँ।
उम्र तो नहीं थी हमारी इश्क़ करने की दूरियों से डर लगता था,
एक चहेरा देखा और इश्क़ कर बैठे दूरियों तो एक बहाना था,
बहुत दूर निकल आये हैं चलते चलते हम
बहुत दूर निकल आये हैं चलते चलते
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते
रात के बाद सहर होगी मगर किस के लिए
हम भी शायद न रहें रात के ढलते ढलते
बददुआ भी नही दे सकते हम तुम्हे,
साथ रहने की कसमें जो खाई थी हमने,
जा आजाद कर दिया तुम्हे मैने अपने दिल से ,
तकदीर बनाने चले थे जो उम्मीदें वफा तुम से,
तू मुझसे दूरियां बढ़ाने का शौक पूरा कर ले,
मेरी भी ज़िद है तुझे हर दुआ में माँगने की।
करीब आने की उन्हें फुरसत ही नहीं,
और मुझपे इल्ज़ाम लगा है दूरी बनाने का।
कुछ हद तक एक जैसी कहानी है हमारी तुम्हारी,
तुम्हे प्यार से डर लगता है हमें दूरियों से तुम्हारी,
दूर निगाहों से बार बार जाया न करो
दूर निगाहों से बार बार जाया न करो
दिल को इस कदर तड़पाया न करो तुम
बिन एक पल भी जी न सकेंगे हम
यह एहसास बार बार हमे दिलाया न करो
जब प्यार नही था तो,
वफा की उम्मीद क्यूं दिखाई थी,
कत्ल करने के बहाने से बस,
खुद को मुमताज बता गई तू..!!
मेरे दिल को अगर तेरा एहसास नहीं होता,
तू दूर रह कर भी यूं मेरे पास नहीं होता,
इस दिल में तेरी चाहत ऐसे बसा ली है,
एक लम्हा भी तुझ बिन ख़ास नहीं होता।
खवाहिश नहीं मुझे उससे दूर होने की,
जिसे में हर रोज चुप चुप के देखा करता हूँ,
में अगर दूर हो जाऊं तब भी तुम इसी अदा में सवरते रहना,
मेरा क्या चलता हवा हूँ कभी तुम्हारे पास कभी तुमसे दूर हूँ,
उनके दूर जाने के साथ आंखे नम थी
ज़िन्दगी उनसे शुरू उन पर खत्म थी
वो रूठ के दूर रहने लगे हमसे शायद
हमारी मोहब्बत में ही कमी थी
तू भी आइने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आते गए उसी का होता गया,
ये दूरियाँ तो मिटा दूँ मैं एक पल में मगर,
कभी कदम नहीं चलते कभी रास्ते नहीं मिलते।
तुझसे दूर रहकर कुछ यूँ वक़्त गुजारा मैंने,
ना होंठ हिले फिर भी तुझे पल-पल पुकारा मैंने।
कुछ कह गए, कुछ सह गए,
कुछ कहते कहते रह गए..
मै सही तुम गलत के खेल में,
न जाने कितने रिश्ते ढह गए..‼️
बंद कर दो बना ना ये झूठी मोहब्बत का ताज महल,
सुबह होते ही बेवफा बन जाओगी..!!!!
उनकी दूरियां हैं कुछ मेल मिलाई,
जैसे तारों को है रात में सजाई। …
वो हैं खफा हमसे या हम हैं खफा उनसे,
बस इसी कशमकश में दूरियाँ बढ़ती रहीं।
तेरे वज़ूद की खुशबू बसी है मेरी साँसों में,
ये और बात है कि नजर से दूर रहते हो तुम।
दूरियों से दर्द नहीं होता जनाब,
दर्द तब होता है जब कोई पास होके भी खामोश होता है,
रिश्तों को वक़्त और हालात बदल देते हैं…
अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात बदल देते हैं ..
हमने भी ताज महल बनाने की सपने देखें थे,
पर क्या करे मेरी मुमताज ही बेवफा निकल गई,
उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर ली,
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में दर्द आया तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
तुम कितने दूर हो मुझसे मैं कितना पास हूँ तुमसे,
तुम्हें पाना भी नामुमकिन तुम्हें खोना भी नामुमकिन।
हर इबादत के बाद लब पे तेरे लिए दुआ आ जाती है,
दूर रहे कितना भी हर शामो सुबह तेरी याद आ जाती है,
इस छोटी सी उम्र में कितना कुछ लिख दिया मैंने,
उम्रें लग जायेंगी, तुम्हे मुझे पूरा पढ़ने में।
जब रिश्ते ही दम तोड़ चुके हों….
तो फिर प्यार, इजहार,गलती का अहसास ,
सही गलत कुछ भी मैटर नहीं करता।
इरादा न था तुमसे बिछड़ने की,
अब मजबूरी बन गई है तुझ से दूर जाने का,
रहने दे मत दिखा अपने प्यार की दीवानगी इतने दूर से,
कभी सपनों में आ के तो मुलाकात कर ले,
आज परछाई से पूछ ही लिया ,
क्यों चलते हो.. मेरे साथ..उसने भी हंसके कहा ,
और कौन है…तेरे साथ !!
देता नहीं साथ कोई पूरी जिंदगी के लिए यहां जनाब,
कुछ दिनों की दूरियां कुछ दिनों का प्यार सारी उम्र बैठे रहे तेरे याद में हम जनाब,
भूल सा गया हैं बो मुझे ,
समज नहीं आ रहा की हम आम हो गए
उनके लिए या कोई खास बन गया है !
तेरी झूठे वादों पर हमें यकीन आज भी है,
फिर क्यूं नही लौटती तुम पुराने राहों पर..?
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बहुत तकलीफ़ होती है सीने में,
जो दर्द तूने बिना वजह देके गया था,
दूरी ने कर दिया है तुझे और भी करीब,
तेरा ख़याल आ कर न जाये तो क्या करें।
जिंदगी की रफ्तार हाथों से फिसलते रेट की रफ्तार जैसी है,
दूरियों का पल कब ख़तम होगा ना जाने वो पल किस वक़्त के पीछे छिपा बैठा है,
जो फ़ुरसत मिली तो मुड़कर देख लेता
मुझे एक दफा तेरे प्यार में पागल होने की चाहत मुझे आज भी हे !
उसकी मोहबत पे मेरा हक़ तो नहीं लेकिन ,
दिल करता है के उम्र भर उसका इंतज़ार करू !
दिल से दूरियां बना के पूछते हैं
वो रातों में सोते क्यूं नही,
इतनी फिक्र है तुझे हमारी
तो फिर मेरे होते क्यूं नही ?
जिंदगी के गर्दिश में कब तुझसे दूर हुए पता ही ना चला,
तुझसे मिलने के बाद कितना दूर थे तुमसे ये पता ही ना चला,
अब उम्मीद भी क्या करे हम तुम से.
जब मेरी तकदीर ही बेवफा बन गई है.!!
मोहब्बत ऐसी थी कि उनको बताई न गयी,
चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी,
चाहते नहीं थे उनसे दूर होना पर,
दूरी इतनी थी कि मिटाई न गयी।
बस ये आखरी मंजिल है मेरे जिंदगी की,
अब ना दूर होंगे मुझे कसम है तेरे प्यार की,
हजारो चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको..
पर दिल भी जिद पे अड़ा था कि अगर बो नहीं ,
तो उसके जैसा भी नहीं।
तुझे न पाने की गीला भी किस से करें हम?
जब किस्मत लिखने वालो ने
अपनी स्याही की कद्र कर ली हो.!!
क्या यही इरादा था तेरे दिल में के मुझसे दूर होना है,
पहले ही बता देते तुझे इतनी तकलीफ ना होने देते हम,
जिस तरह से समुंदर फेकता है लेहरों को बाहर,
दूर ना रह पाऊंगी तुमसे कहकर लौट आती हैं लेहरे समुंदर के अंदर,
जिंदगी और मौत का अलग अलग अंदाज़ होती है,
तू पास हो तो जिंदगी और दूर हो तो मेरी मौत होती है,
पास आकर सभी दूर चले जाते है अकेले थे हम,
अकेले ही रह जाते है इस दिल का दर्द दिखाए
किसे मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है।
सपनो में आया था जो हमसफर बनके,
क्यूं गया फिर वो हमसे बेवफाई कर के,
फेसबुक ने दूरियां बढ़ा दी है उनसे,
पहले हमारे ही चहरे को पढ़ते थे वो,
अब फेसबुक के किताब में अलग अलग चहरे ढूंढ़ते हैं वो,
जल्दी जल्दी वो हमसे दूर हुए परदेश जाने के चाह में,
उनके जाते ही चाहत ऐसी बढ़ी हमने जीना छोड़ दिय उनके प्यार में,
तन्हा रहना तो सीख लिया ,
पर खुश ना कभी रह पायेगे ,
तेरी दूरी तो सह लेता दिल मेरा,
पर तेरे प्यार के बिन ना जी पायेंगे।
वो चांदनी रातें वो यादों का मिलना,
रात के 11 बजे मुहर्रम का महीना,
कभी सोचा न था भूल जायेगी तू.
एक दिन उन यादों को संभालना.!!!
दूरियों की ना परवाह कीजिये,
दिल जब भी पुकारे बुला लीजिये,
कहीं दूर नहीं हैं हम आपसे,
बस अपनी पलकों को आँखों से मिला लीजिये।
सजा न दे मुझे बेक़सूर हूँ मैं,
थाम ले मुझको ग़मों से चूर हूँ मैं,
तेरी दूरी ने कर दिया है पागल मुझे,
और लोग कहते हैं कि मगरूर हूँ मैं।
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी..
और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ..!!!
उनकी दूरियां की रंगीन है ये बातें,
मिलकर भी जुदा है हमें ये रातें,
पर दिल से जुड़ा है गहरे रिश्ते हमारे,
दूर होने पर भी वो दिल के पास है हमारे,
तेरे लिए खुद को मजबूर कर लिया,
जख्मों को हमने अपने नासूर कर लिया,
मेरे दिल में क्या था ये जाने बिना,
तूने खुद को हमसे कितना दूर लिया।
बहुत भीड हो गई है लोगों के दिलों में…
इसलिए आजकल हम अकेले ही रहते हैं…!
गम में तो हम भी डूबे हुए हैं जनाब
ये मुस्कुराहट तो सिर्फ दिखाने का है
बस एक भूलने का हुनर ही तो नहीं आता…
वरना भूलना तो हम भी बहुत कुछ चाहते हैं…!
काश ये दिल बेजान होता…
न किसी के आने से धडकता…
न किसी के जाने से तडपता…!
हम बताएंगे भी नहीं जताएंगे भी नहीं,
दूरी बना कर रखेगे मिटाएंगे भी नहीं।
गलतफहमी से दूरियां बढ़ गई हैं वरना,
फितरत का बुरा तू भी नहीं और मैं भी नहीं !
दरियों का ग़म नहीं, अगर फ़ासले दिल में न हो,
नज़दीकियां बेकार है,अगर जगह दिल में ना हो।
मन की दूरियां कुछ बढ़ सी गयी हैं,
लेकिन तेरे हिस्से का वक्त, आज भी तनहा गुजरता है !
तुझसे दूर रहकर कुछ यूँ वक्त गुजारा मैंने,
ना होंठ हिले फिर भी तुझे पल-पल पुकारा मैंने !
दूरियां ही एक दूसरे को करीब लाती हैं
दूरियां ही एक दूसरे की याद दिलाती हैं
दूर रहकर एक दूसरे के कितने करीब हैं
दूरियां ही इस बात का एहसास दिलाती हैं
दूरियों के नाम से न डरो, दोस्ती का ये सिलसिला चलता रहेगा
चाहे जितनी भी दूरियाँ हों हम दोस्ती को निभाते रहेंगे।
कितना अजीब है ये फलसफा जिन्दगी का,
दूरियाँ बताती हैं नजदीकियों की कीमत !
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गई है लेकिन,
तेरे हिस्से का वक्त आज भी तन्हा ही गुजरता है
दूरियों का एहसास उस वक़्त हुआ,
जब मैं उसके सामने से गुजरी,
और उसे मेरी मौजूदगी का एहसास तक ना हुआ।
रिश्तों में दूरियां कभी इतनी मत बढ़ा लेना,
के दरवाज़ा खुला हो फिर भी खटखटाना पड़े।