New 130+ Ilzaam Shayari In Hindi | किसी पर झूठा इल्जाम लगाना शायरी Ilzaam Shayari 2 Line | इलजाम शायरी के 2 लाइन

Ilzaam Shayari In Hindi : आज हम आपके लिए “इल्ज़ाम शायरी” लेकर आए हैं। यह शायरी उन हालातों को बयां करती है जब कोई आप पर बेबुनियाद इल्ज़ाम लगाता है, और आप खुद को सही साबित नहीं कर पाते।

जब किसी पर गलत इल्ज़ाम लगाया जाता है, तो उसे कितनी तकलीफ होती है, यह केवल वही जान सकता है। आप जानते हैं कि वह इल्ज़ाम बेवजह है, फिर भी उस समय कुछ नहीं कर पाने की असहायता बहुत दुख देती है।

हमने इसी भावना को समझते हुए यह शायरी तैयार की है। आप इस शायरी को भेजकर उस व्यक्ति को यह बता सकते हैं कि आप पर लगाया गया इल्ज़ाम गलत है। इससे आप अपनी भावनाओं को शब्दों में ढालकर सामने वाले तक पहुंचा सकते हैं और अपनी बात को स्पष्ट रूप से रख सकते हैं। तो चलिए चलते हैं Ilzaam Shayari In Hindi के एक और सुहावना सफर पर , हमें उम्मीद हैं की आपको ये शायरी जरूर पसंद आएगी।

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Ilzaam Shayari

हँस कर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का

इल्ज़ाम देते हो मुझे बेवफ़ाई का,
दिल तोड़ने का, ये आदत तुम्हारी है।

उदास जिन्दगी, उदास वक्त, उदास मौसम
कितनी चीजो पे इल्जाम लगा है तेरे ना होने से

दिल में जगह न होने का इल्ज़ाम न दो,
वजह चाहिए तो ये कह दो कि हम बुरे हैं।

सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की
जैसे जिन्दगी नहीं कोई “इल्ज़ाम” है

इल्ज़ाम न लगाओ मुझे मोहब्बत का,
मैंने तो दिल से मोहब्बत की थी, तुम निभाया नहीं।

दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ
प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ
दिल में दर्द नहीं, उसकी यादें हैं
अब यादें ही दर्द दे तो उसे इल्ज़ाम क्या दूँ

इल्जाम मुझ पर भी है इश्क़ का, 
नाम मेरा भी आता है आशिकों में! 

वो वक़्त भी अन्जान था
खुद के अंजाम से,
लोगों की नाकामियों का
इल्जाम लिए गुजर गया।

इल्ज़ाम तो हर
हाल में काँटों पे ही लगेगा,
ये सोचकर अक्सर फूल भी
चुपचाप ज़ख्म दे जाते है !!

तुम्हें याद करना भी गुनाह है,
इल्ज़ाम तुम्हारे प्यार में आने का है।

सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की
जैसे जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम है

कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
पहले भी हम बुरे थे, अब थोड़े और सही

इल्ज़ाम तुम्हारे ख़्वाबों का नहीं,
दिल की धड़कनों का है, जो तुमने थाम ली।

लफ्जों से इतना आशिकाना ठीक नहीं है ज़नाब
किसी के दिल के पार हुए तो इल्जाम क़त्ल का लगेगा

इल्ज़ाम तो हर हाल में काँटों पे ही लगेगा,
ये सोचकर अक्सर फूल भी चुपचाप ज़ख्म दे जाते है 

इल्ज़ाम ना लगाना किसी पर दोस्तों,
मेरे दिल की धड़कन तुम्हारे नाम कर दी है।

इल्ज़ाम तुम्हारे ख्वाबों में आने का है,
दिल की धड़कन मेरी तुम्हारे नाम कर दी है।

ये मिलावट का दौर हैं “साहब” यहाँ
इल्जाम लगायें जाते हैं तारिफों के लिबास में

हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी?
ये तो हम हैं सर इलज़ाम लिये फिरते हैं।

इल्ज़ाम ना लगाना तुम ख़ुदा का डर,
तुम्हारे प्यार में आज़मा चुका हूँ मैं।

कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
पहले भी हम बुरे थे, अब थोड़े और सही

सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की
जैसे जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम है

इल्ज़ाम ना दो मुझे बेवफ़ाई का,
दिल तोड़ने की आदत तुम्हारी है।

बेवजह दीवार पर इल्जाम है बंटवारे का
कई लोग एक कमरे में भी अलग रहते हैं

वफ़ा मैंने नहीं छोड़ी मुझे इलज़ाम मत देना
मेरा सबूत मेरे अश्क हैं मेरा गवाह मेरा दर्द है

इल्ज़ाम ना लगाओ मुझे बे-वफ़ाई का,
मैंने तो दिल से मोहब्बत की थी, तुम निभाया नहीं।

मेरी नजरों की तरफ देख जमानें पर न जा
इश्क मासूम है इल्जाम लगाने पर न जा

मेरी नजरों की तरफ देख जमानें पर न जा
इश्क मासूम है इल्जाम लगाने पर न जा

इल्ज़ाम देते हो मुझे बेवफ़ाई का,
दिल तोड़ने का, ये आदत तुम्हारी है।

चिराग जलाने का सलीका सीखो साहब
हवाओं पे इल्ज़ाम लगाने से क्या होगा

इल्ज़ाम ना दो मुझे मोहब्बत का,
दिल तोड़ने का, ये काम तुम्हारा है।

तुम्हारी मोहब्बत का इल्ज़ाम नहीं है,
मेरी बे-सदगी की वजह से मुझे ख़ता कहा जाता है।

इल्ज़ाम ना लगाओ मुझे मोहब्बत का,
दिल तोड़ने का, ये काम तुम्हारा है।

दुनिया को हकीकत का मेरी पता कुछ भी नहीं
इल्जाम हजारो हैं और खता कुछ भी नहीं

ये मिलावट का दौर हैं साहब” यहाँ
इल्जाम लगायें जाते हैं तारिफों के लिबास में

इल्ज़ाम ना लगाओ मुझे बेवफ़ाई का,
दिल तोड़ने का, ये काम तुम्हारा है।

तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी

इल्ज़ाम ना लगाना मुझे तुम्हारी मोहब्बत का,
दिल तोड़ने का, ये काम तुम्हारा है।

जिस के लिए सब कुछ लुटा दिया हमने
वो कहते हैं उनको भुला दिया हमने
गए थे हम उनके आँसू पोछने
इल्ज़ाम दे दिया की उनको रुला दिया हमने

बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने।
कि इलज़ाम झूठे ही सही पर लगाये तो तुमने हैं।

तुम्हारी बे-वफ़ाई का इल्ज़ाम नहीं है,
मेरी बे-सदगी की वजह से मुझे ख़ता कहा जाता है।

तुम्हारी मोहब्बत का इल्ज़ाम नहीं है,
मेरी बे-सदगी की वजह से मुझे ख़ता कहा जाता है।

हर इल्ज़ाम का हकदार वो हमें बना जाते हैं
हर खता की सजा वो हमें सुना जाते हैं
और हम हर बार खामोश रह जाते हैं
क्यों कि वो अपने होने का हक जता जाते हैं

तुम मेरे लिए कोई “इल्ज़ाम” न ढूँढ़ो
चाहा था तुम्हे, यही “इल्ज़ाम” बहुत है

बस यही सोच कर कोई सफाई नहीं दी हमने
कि इल्ज़ाम झूठे ही सही पर लगाये तो तुमने हैं

बेवफाई मैंने नहीं की है मुझे इल्ज़ाम मत देना
मेरा सुबूत मेरे अश्क हैं मेरा गवाह मेरा दर्द है

हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा जाते हो मोहब्बत का
कभी खुद से पूछा है इतने हसीन क्यों हो

खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नकाब में
बेवजह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया

अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी

अधूरी हसरतो का आज भी इल्ज़ाम है तुम पर
अगर तुम चाहते तो यह मोहब्बत खत्म न होती

जान कर भी वो मुझे जान न पाए
आज तक वो मुझे पहचान न पाए
खुद ही कर ली वेबफाई हमने
ताके उन पर कोई इल्ज़ाम न आये

तू ने ही लगा दिया इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई
अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी

वफ़ा मैंने नहीं छोड़ी मुझे इलज़ाम मत देना,
मेरा सबूत मेरे अश्क हैं मेरा गवाह मेरा दर्द है।

हर बार इल्जाम हम पर ही लगाना ठीक नहीं
वफ़ा खुद से नहीं होती खफा हम पर होते हो

बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने।
कि इलज़ाम झूठे ही सही पर लगाये तो तुमने हैं।

Ilzaam Shayari | Ilzaam Shayari In Hindi | ilzaam Shayari 2 Line | New ilzaam Shayari in Hindi | Ilzaam Shayari Quotes

हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है
हर खता कि सजा वो हमे सुना जाते है
हम हर बार खामोश रह जाते है
क्योकी वो अपना होने का हक जता जाते है

किसे इल्जाम दूँ मैं अपनी बर्बाद जिंदगी का,
वाकई में मोहब्बत जिंदगी बदल देती है।

मोहब्बत तो दिल से की थी, दिमाग उसने लगा लिया
दिल तोड़ दिया मेरा उसने और इल्जाम मुझपर लगा दिया

अब भी इल्जाम-ए-मोहब्बत है हमारे सिर पर,
अब तो बनती भी नहीं यार हमारी उसकी।

दिल पे आये हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझको तेरे नाम से पहचानते हैं

तू कहीं भी रहे, सिर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं
तुम्हारे हाथों के लकीरों में मेरा नाम तो हैं

हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी?
ये तो हम हैं सर इलज़ाम लिये फिरते हैं।

तुम मेरे लिए कोई इल्जाम न ढूँढ़ो
चाहा था तुम्हे, यही इल्जाम बहुत है

हमारे हर सवाल का सिर्फ़ एक ही जवाब आया
पैगाम जो पहुँचा हम तक बेवफ़ा इल्जाम आया

बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं, पर इल्ज़ाम किसी और को देते हैं
पहले नाम था मेरा उनके लबों पर, अब वो नाम किसी और का लेते हैं

इल्ज़ाम लगा देने से बात सच्ची नही हो जाती
दिल पे क्या बीतती हैं किसी से कही नही जाती

करता हूँ तुमसे मोहब्बत मरने पर इल्जाम होगा
कफ़न उठा के देखना होठों पर तेरा नाम होगा

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम ना दे
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम ना ले
तेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझे
मेरी एक सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले

मेरी तबाही का इल्ज़ाम अब शराब पर हैं
मैं और करता भी क्या तुम पे आ रही थी बात

झूठे इल्जाम, मेरी जान, लगाया ना करो
दिल है नाज़ुक, इसे तुम ऐसे दुखाया ना करो

मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना
जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर
किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना

इल्जाम जो तुमने दिए, साथ लिए फिरता हूँ सदा
खिताब जो मिले दुनिया से, अलमारी में कैद है

कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
हम पहले भी बुरे थे अब थोड़ा और सही

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