Latest 185+ 2024 Tanhai Shayari In Hindi | तन्हाई शायरी 2 लाइन | हिंदी में तन्हाई स्टेटस

Tanhai Shayari In Hindi : कभी-कभी जीवन में ऐसा समय आता है जब हम खुद को बेहद अकेला और तन्हा महसूस करने लगते हैं। यह अहसास अक्सर तब होता है जब प्रेम के रिश्ते में हम किसी को खो देते हैं या हमें छोड़ दिया जाता है। प्रेम में ऐसे क्षण बहुत ही कष्टकारी होते हैं। जब हम अपने प्रिय से अलग हो जाते हैं, तो हमारी पूरी दुनिया बदल जाती है। हम अपने आप को सभी से कटे हुए और अकेला महसूस करने लगते हैं। इस तरह की तन्हाई में जीना बहुत मुश्किल होता है, और इसका असर हमारी मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता हैं।

अगर आप भी ऐसी तन्हाई का सामना कर रहे हैं और प्यार के इस दर्द को महसूस कर रहे हैं, तो शायरी एक अच्छा माध्यम हैं। हमने इस शायरी को आपके लिए तैयार किया है, ताकि आप इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर स्टोरी के रूप में शेयर कर सकें। यह शायरी आपके भावनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में मदद करेगी और शायद आपको थोड़ा सुकून भी देगी। तो चलिए Tanhai Shayari In Hindi के एक और सफर पर चलते हैं।

Tanhai Shayari

एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ,
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।

ये उड़ती ज़ुल्फें, ये बिखरी मुस्कान।
एक अदा से संभलूँ, ,
तो दूसरी होश उड़ा देती है।,,,

तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया,
रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।

तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा,
दूर तुमसे अब रह न सकूँगा,
अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,
ये दूरी अब सह न सकूँगा।

“तन्हाई में बहुत सी अच्छाई है, बिना बात रुलाती है हसाती है।
अपने आप से मिलवाती है, ज़िंदगी जीना सिखलाती है।”

मुझे इन राहों में तेरा साथ चाहिए..
तन्हाइयों में तेरा हाथ चाहिए..
खुशियों से भरे इस संसार में,
तेरा प्यार चाहिए।

“दिल के रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं,
अजनबी कैसे बन जाते हैं वही जो करीब होते हैं।”

वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा !!
मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ !!

हजारो बार ली है तलाशीयाँ तुमने मेरे दिल की 
कभी कुछ मिला क्या तुम्हारे सिवा

कितना अधूरा सा लगता है
जब बादल हो बारिश न हो,
आँखें हो कोई ख्वाब न हो
और अपना हो पर पास न हो।

कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।

“एक मैं ही नहीं,
ये पूरी दुनिया ही तनहा है।”

मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ
इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है I

“तन्हाई बेहतर है झूठे रिश्तों से,
कोई साथ न हो तो भी कोई शिकवा नहीं।”

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे,
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर।

अगर इश्क़ हुआ दुबारा तो भी तुझसे ही होगा….
मेरे नादान दिल को तुझ पर इतना भरोसा है..!!

कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।

किसी को प्यार की सच्चाई मार डालेगी,
किसी को दर्द की गहराई मार डालेगी,
मोहब्बत में बिछड़ के कोई जी नहीं सकता,
और बच गया तो उसे तन्हाई मार डालेगी।

“तन्हाई में किसी न किसी की याद होती है,
इसीलिए तन्हाई अपने आप में ही मुकम्मल होती है।”

“कभी फुर्सत मिले तो सोचो जरूर,
क्या हम भी अकेले नहीं तेरे बगैर?”

“तन्हाई से डरते हो, तो क्यों प्यार किया,
जिसके लिए रोते हो, उसी ने बेकार किया।”

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है… तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।

“मैंने तो हमेशा ही तुझसे महोब्बत की है,
तेरे ना मानने से हकीक़त नहीं बदलेगी…

अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात…
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?

तनहा ही थे तनहा ही है तनहा ही रहेंगे,
जीते थे इस आस में के कभी न कभी तेरा साथ मिलेगा,
अब लगता है सांसे टूट जाएँगी मौत भी तनहा ही मिलेगी,

“मैं इतना तनहा हूँ,
की खुद से बात करने के लिए शब्द नहीं है।”

“तुम वो फ़िक्र हो,
जिसका ज़िक्र मैं अक्सर तन्हाई में करता हूँ।”

उसके दिल में थोड़ी सी जगह माँगी थी,
मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर
मेरे नाम कर दिया।

“वो कहती है अकेले रहना सीख लो,
वो नहीं जानती, मैं पहले से अकेला हूँ।”

इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !!
तुम आज भी नहीं आओगे और तन्हाई जीत जाएगी !!

दिल पे तूने क्या लिख दिया
की अब किसी और का होने को जी नहीं चाहता

बस वही जान सकता है
मेरी तन्हाई का आलम।
जिसने जिन्दगी में किसी को
पाने से पहले खोया है।

“कुछ टूटे तो उसे सजाना सीखो,
कुछ रूठे तो उसे मनाना सीखो,
रिश्तों को निभाने का हुनर सीखो,
तन्हाई में रह कर मुस्कुराना सीखो।”

आज खुद की दुनिया वीरान है साकी,
कभी मैं हँसता था औरों को देखकर।

टूट रहे हैं दिल हर जगह..
न जाने इश्क़ कहाँ है?

किसी को प्यार की सच्चाई मार डालेगी,
किसी को दर्द की गहराई मार डालेगी,
मोहब्बत में बिछड़ के कोई जी नहीं सकता,
और बच गया तो उसे तन्हाई मार डालेगी।

कभी तनहा लोगों से इश्क़ कर के देखो,
वो तुम्हे कभी तनहा नहीं छोड़ेंगे,
क्योँकि उन्हें तन्हाई का दर्द पता होता है,

तनहा रह जाते है वो लोग,
जो नए रिश्ते बनाने के लिए,
पुराने रिश्तों को छोड़ दिया करते है,

“मैं तन्हा हूँ शायद इसलिए,
क्यों की दिल नहीं भरोसा टूटा है।”

आज तेरी याद को सीने से लगा के रोये,
खयालो में तुझे पास बुलाके रोये,
हज़ार बार पुकारा तुझको तन्हाई में,
हर बार तुझे पास न पाकर रोये।

 रोज़ जले फ़िर भी ना ख़ाक हुए,..
अजीब है ये इश्क़ बुझ कर भी ना राख हुए…

उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था,
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती…!!

चाँदनी बन के बरसने लगती हैं
तेरी यादें मुझ पर,
बड़ा ही दिलकश मेरी
तनहाइयों का मंज़र होता है।

ये शाम बहुत तनहा है मिलने की भी तलब है,
पर दिल की सदाओं में वो ताकत ही कहाँ है,
कोशिश भी बहुत की और भरोसा भी बहुत था,
मिल जायें बिछड़ कर वो किस्मत की कहाँ है।

फिर कहीं दूर से सदा दे तू मुझको,
मेरे तन्हाई का एहसास दिला दे मुझको, तु
म चाँद हो तुझे मेरी जरुरत क्या,
Me एक दिप हूँ किसी चौखट Pe जला देना मुझको,

“उसके जाने के बाद,
बहुत से लोग मेरे पास आये,
लेकिन फिर भी मैं अकेला रह गया।”

कैसे गुज़रती है मेरी हर एक शाम तेरे बगैर….
अगर तू देख ले तो कभी तन्हा न छोड़े मुझे।

“अकेले चलना सीख लो क्योंकि अब साथ कोई नहीं,
जिसे हमने समझा था अपना, वो कभी था ही नहीं।”

हम रहे ख़ामोशी से उनके साथ और,
वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे।

किसका वास्ता देकर मैं रोकता उसे,
खुदा तक तो मेरा बन चुका था वो

लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,
इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।

याद में तेरी तन्हा बैठे हैं,
तेरे बिन लबों की हँसी गवा बैठे है,
तुम्हारी महफ़िल में अँधेरा न हो,
तेरी ख़ुशी के लिए दिल जला बैठे हैं,

“तुम वही हो जिसने हमें हम से मिलना सिखाया,
लोग कहते है तुमने मुझे छोड़ दिया।”

“कहने को तो सब अपने हैं,
पर सच में कोई साथ नहीं।”

एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ,
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।

आप खुद ही अपनी अदाओं में ज़रा ग़ौर कीजिये..
हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी…

याद तुम्हे करते हैं तन्हाई में,
डूबा है दिल ग़मों की गहराई में,
ढूँढना मत हमें दुनिया के भीड़ में,
मिलेंगे हम तुम्हे तुम्हारी परछाई में,

“तन्हा हूँ फिर भी वो मुझ में है,
मुझ से दूर हो के भी।”

“कहानी अधूरी होती है,
तो जीने का मज़ा सुनहरा होता है।”

बहुत खुशनुमा कल की रात गुजरी है,
कुछ तन्हा पर कुछ खास गुजरी है,
न नींद आई न ख्वाब कोई,
बस आप ही ख्यालों के साथ गुजरी है।

“अकेले चलना सीख लो क्योंकि अब साथ कोई नहीं,
जिसे हमने समझा था अपना, वो कभी था ही नहीं।”

“मेरे अकेलेपन का क्या सबूत दूं,
तन्हाई भी पास बैठ कर रोने लगी है।”

उनके जाने के बाद,तन्हाई का सहारा मिला है
इसकी आगोश में आये, फिर निकलना नही आया.

इश्क़ की गहराइयो  में खूबसूरत क्या है
मैं हूँ तुम हो और कुछ की ज़रूरत क्या है

तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।

तुम जब आओगे तो खोया हुआ पाओगे मुझे,
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,
मेरे कमरे को सजाने कि तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।

“जबरन मैं किसी से ना हाल पूछता हूँ,
और ना किसी को बताता हूँ।
एक तुम ही तो थे जो मुझ से मेरा हाल पूछते थे।”

“मैं खुद से बातें करने लगा हूँ,
क्योंकि तुमसे बात करने की ख्वाहिश अब भी जिंदा है।”

गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ !!
काट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ !!

ए रात मेरी तनहाई देख कर,,
मुझ पर मत हंस इतना वरना,
जिस दिन मेरा यार मेरे साथ होगा..
तू पल में गुज़र जायेगी…..!!

बहुत सोचा बहुत समझा,
बहुत ही देर तक परखा,
कि तन्हा हो के जी लेना,
मोहब्बत से तो बेहतर है।

“जब तुम साथ होते हो तो तुम्हें देखता हूँ,
और जब तन्हा होता हूँ तो तुमपे लिखता हूँ।
इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं आता।”

अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात…
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?

हर रात को तुम इतना याद आते हो के हम भूल गए हैं,
के ये रातें ख्वाबों के लिए होती हैं, या तुम्हारी यादों के लिए…

ए ज़िन्दगी एक बार तू नज़दीक आ तन्हा हूँ मैं,
या दूर से फिर दे कोई सदा तन्हा हूँ मैं,
दुनिया की महफ़िल मैं कहीं मैं हूँ भी या नहीं,
एक उम्र से इस सोच में डूबा हुआ हूँ मैं।

आजकल वो सड़क भी तनहा हो गई,
जब से तुम ने वहां से गुज़रना बंद कर दिया।

करोड़ों की तरह हम भी उनके एक आशिक़ है,
उनके बिना ही है, लेकिन उनकी यादों के साथ मुकम्मल है।

नाराज़ है वो हमसे, ये हम जानते है।
वो हमें छोड़ देंगे, ऐसे वो ख्याल में भी नहीं सोचते होंगे।

तेरे ना होने से जिंदगी में,
बस इतनी सी कमी रहती है,
मैं लाख मुस्कराऊँ फिर भी,
इन आँखों में नमी सी रहती है।

“जिसके लिए तन्हा हूँ वो तन्हा नहीं,
जिसे हर दिन याद करूँ वो कभी याद नहीं करती।”

तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे,
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।

शाम के साये बालिश्तों से नापे हैं 
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में

हज़ारो बातें मिल कर एक राज़ बनता है,
सात सुरों के मिलने से साज़ बनता है,
आशिक़ के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता,
और हसीनाओ के मरने पर ताज़ बनता है।

तन्हाई इसीलिए ज्यादा होने लगी दुनिया में,
जब मोबाइल में नंबर से ज्यादा सेल्फियां रहने लगी।

हम अकेले ही बेहतर थे,
जब से तुम से मिले है ,
हम और भी तनहा रहने लगे है।

“अकेलापन एक ऐसा ख्याल है,
जो इन्सान को अंदर से तोड़ देता है।”

और क्या लिखू 
अपनी जिंदगी के बारे में,
जो जिंदगी हुआ करते थे 
वो ही बिछड़ गए।

दिये रहो यूं ही कुछ देर और हाथ में हाथ
अभी ना पास से जाओ बड़ी उदास है रात

उसकी आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की आदत सी हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
बस एक मोहब्बत है,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है।

आंखों से दूर हूँ, मोबाइल से नहीं,
कभी गलती से ही सही, फ़ोन कर दिया करो।

सिलसिला आज भी वही जारी है
तेरी याद, मेरी नींदों पर भारी है।

“कभी फुर्सत में अकेले बैठ कर देखना,
जो अपने हैं वो भी साथ नहीं होंगे।”

मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,
बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।

हर मुलाकात को याद हम करतें हैं,
कभी चाहत कभी जुदाई कि आह भरते है,
यूं तो रोज़ तुम से सपनो मे बात करते हैं पर,
फिर से अगली मुलाकात का इन्तज़ार करते है!!

कितना दर्द है इस दिल में लेकिन हमे एहसास नही है,
कोई था बहुत खास पर वो पास नही है,
हमे उनके इश्क ने बर्बाद कर दिया,
और वो कहते है की ये कोई प्यार नही है।

शहर बड़ा है,
लेकिन इंसान एक ही कमरे में कैद है।

कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिल जाने,
क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल,
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही,
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल।

“अकेलेपन का एहसास तभी होता है,
जब कोई पास होकर भी दूर हो जाता है।”

आज खुद की दुनिया वीरान है साकी,
कभी मैं हँसता था औरों को देखकर।

कागज़ पे हमने ज़िन्दगी लिख दी,
अशकों से सींच कर खुशी लिख दी,
दर्द जब हमने उबारा लफज़ो पे,
लोगो ने कहा वाह क्या गज़ल लिख दी!!

चाहे राधा हो या हो मीरा,
सबके हिस्से में आई ये तन्हाई।

हर दिन तन्हाई मैं गुजर जाता है,
बस तेरी याद मैं गुजर जाता है।

“वो कहता है तुझसे बात कर के तन्हाई मिट जाती है,
मैं कहता हूँ तेरे बाद तन्हाई बस और गहरी हो जाती है।”

चलते रहे अकेले इन राहो में हम और,
वो खुद को हमसफ़र बता रहे थे।

कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।

 दर्द ये क्या है इस दर्द पे ही बात करो
और कुछ भी नहीं बस आंसुओं की बात करो

न ये दुनिया, न ही रिश्ते, न ही बंधन की
इन हवाओं में उड़ते पंछियों की बात करो

कैसे गुजरती है मेरी
हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो
कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।

अकेला रहता हूँ,
किसी से बात नहीं करता,
अब मैं किसी पर भरोसा नहीं करता।

“कभी तन्हाई में भी आंसू छलक आते हैं,
जिनसे दिल की बात कहें, वही बिछड़ जाते हैं।”

मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,
बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।

एक पल का एहसास बनकर आते हो तुम,
दूसरे ही पल खुवाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो की लगता है डर तन्हाइयों से,
फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम।

जिस पर किया यकीन, उसी ने धोका दिया,
साथ रहने का वादा करके तन्हाई का आलम दिया।

कितनी ही याद आएगी तेरी,
एक दिन भूल जाऊंगा,
देखना अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगा।

अपनी बेबसी पर आज रोना आया,
दूसरों को क्या मैंने तो अपनों को भी आजमाया,
हर दोस्त की तन्हाई हमेशा दूर की मैंने,
लेकिन खुद को हर मोड़ पर हमेशा अकेला पाया

“माना कि तन्हा हूँ,
पर ये भी हकीकत है,
साथ रहकर भी कौन सच्चा है?”

कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।

 ” हमेशा हँसते रहिये,एक दिन ज़िंदगी भी
आपको परेशान करते करते थक जाएगी ।”

मेरी आवाज उसे सुनाई नहीं देती,
अब तो कोई उम्मीद भी दिखाई नहीं देती,
एहसास उसे और सब लोगों का है,
बस मेरी ही तन्हाई उसे दिखाई नहीं देती।

जमाना क्या कहता है, अब कोई मतलब नहीं रहा,
सिर्फ तन्हाई है साथ मेरे, और कोई याद नहीं रहा।

“मेरे अकेलेपन का यही सबब है,
कोई साथ नहीं और तन्हाई कभी कम नहीं।”

लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,
इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।

आग लगी दिल में जब वो खफ़ा हुए,
एहसास हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
करके वफ़ा वो हमे कुछ दे न सके,
लेकिन दे गये बहुत कुछ जब वो वेबफा हुए।

माना कि तेरी नजर में शायद कुछ भी नहीं हूं मैं,
पर मेरी कीमत तू उनसे पूंछ
जिनको पलट कर नहीं देखा मैंने सिर्फ तेरे लिए।

“जो भी मिले, सबने अकेला छोड़ दिया,
इस दिल को तन्हाई का रोग दे दिया।”

हम रहे ख़ामोशी से उनके साथ और,
वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे|

चलते चलते अकेले अब थक गए हम,
जो मंजिल को जाये वो डगर चाहिए,
तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं,
अब हमको भी एक हम-सफ़र चाहिए।

आपकी याद में दीवाने से फिरते हैं,
तन्हाई में अक्सर आपको तलाश करते हैं,
जिंदगी वीरान सी है आपके जाने के बाद,
आज भी हम तुमसे प्यार करते हैं।

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