Nasha Shayari In Hindi :जब प्यार का नशा चढ़ता है, तो सब कुछ एक अलग ही रूप में नजर आता है। इस नशे के असर में, हम दुनियाभर की चीज़ों को नए और अनूठे तरीके से देखने लगते हैं। प्यार का नशा तब और भी गहरा हो जाता है, जब धीरे-धीरे हमें इसकी आदत हो जाती है और हम इस एहसास में खो जाते हैं। ऐसा होता है कि हम समझ ही नहीं पाते कि कब और कैसे इस नशे में पूरी तरह से खो गए हैं।
इस नशे की दुनिया में, कई बार शब्द भी कम पड़ जाते हैं और भावनाओं को व्यक्त करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में शायरी का सहारा लेना बहुत फायदेमंद होता है। शायरी के माध्यम से, आप अपने दिल की गहराइयों से निकलने वाली भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त कर सकते हैं। प्यार की इस अद्भुत दुनिया को व्यक्त करने के लिए हमने कुछ बेहतरीन शायरी और इमेजेज तैयार की हैं। आप इन शायरियों को अपने प्यार के साथ शेयर करके अपने जज्बात को और भी खास बना सकते हैं। तो चलिए देर किस बात की Nasha Shayari In Hindi के एक और सफर पर चलते हैं।
नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं;
कसूर शराब का नहीं उनका है
जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं।
तेरे इश्क का नशा मुझ पर कुछ इस कदर छाया है
तुझे देखने के लिए ये चांद भी आज जमीन पर आया है
प्यार का नशा सिर चढ़कर बोलता है,
हर दिल को इसके रंग में रंगता है।
वो पिला कर जाम लबों से अपनी मोहब्बत का,
और कहते हैं नशे की आदत अच्छी नहीं होती
तेरे प्यार का नशा दिल में चढ़ गया,
खुद को भी पहचानना अब मुश्किल हो गया।
चले तो “पाँव” के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
जब दिल में बसा हो तेरा प्यार का जादू,
फिर बाकी सब कुछ लगने लगे है फीका।
“जब प्यार का नशा दिल में चढ़ता है,
फिर सब कुछ सुहाना और रंगीन नजर आता है।
तेरे बिना हर एक खुशी अधूरी लगती है,
तेरे साथ हर पल खुशी से भर जाता है।”
“तेरे प्यार का नशा दिल को चढ़ गया है,
तेरे बिना सब कुछ फीका और खाली सा लगता है।
प्यार का यह नशा अब आदत बन गया है,
तेरे बिना दिल को चैन नहीं आता है।”
“प्यार का नशा दिल को रंगीन बना देता है,
तेरे बिना हर खुशी अधूरी सी लगती है।
तेरे साथ बिताए पल जिंदादिल बनाते हैं,
तेरे प्यार का नशा दिल को राहत पहुंचाता है।”
“प्यार का नशा दिल पर चढ़े तो सब कुछ प्यारा लगता है,
तेरे बिना हर एक खुशी भी सादा लगती है।
तेरे प्यार का नशा दिल को रंगीन कर देता है,
तेरे बिना हर पल अधूरा सा लगता है।”
“तेरे प्यार का नशा दिल में गहराई से समाया है,
तेरे बिना हर चीज़ कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
प्यार का यह नशा अब आदत बन गई है,
तेरे बिना दिल को सुकून भी नहीं मिलता।”
“प्यार का नशा दिल को नया एहसास दिलाता है,
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा सा लगता है।
तेरे साथ बिताए हर पल की कीमत बढ़ जाती है,
तेरे प्यार का नशा दिल को सुकून दे जाता है।”
“तेरे प्यार का नशा दिल में छाया है,
तेरे बिना हर चीज़ बेजान लगती है।
प्यार का यह नशा दिल को रंगीन बना देता है,
तेरे बिना हर खुशी भी अधूरी सी लगती है।”
प्यार का नशा जब दिल में समा जाता है,
हर एक लम्हा तेरे बिना अधूरा सा लगता है।
तेरे प्यार का नशा अब दिल की आदत बन गया है,
तेरे बिना दिल को चैन नहीं मिलता है।”
“तेरे बिना दिल को चैन नहीं मिलता,
तेरे प्यार का नशा दिल को राहत देता है।”
कभी लफ़्ज़ों में कशिश कभी शायरी में नशा
हुआ जो तेरा असर अब मुझे होश कहाँ
शराब का नशा तो हल्का है उतर जाएगा
पर इश्क का नशा चढ़ा कर देखो
जो वक्त के साथ बढ़ता जाएगा.!!
ठुकराओ अब कि प्यार करो मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ
अलग ही नशा है तुम्हारी मोहब्बत का
जो वक्त बेवक्त बदलता ही रहता है
मोहब्बत एक ऐसा नशा है
जिसने भी किया वो बर्बाद हो गया
आज उसने अपने हाथ से पिलायी हे यारो
लगता हे आज नशा भी नशे मे हैं !!
कुछ नशा तो आपकी बात का है;
कुछ नशा तो धीमी बरसात का है;
हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये;
इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है।
होश में रहे कैसे इश्क़ का नशा करके
होश जो हमें आए फिर नशा बुलाता है
हमारा और उनका प्यार तो देखो यारो
कलम से नशा हम करते हैं और
मदहोश वो हों जाते हैं
इक दफ़ा देखी थी तेरी आँखें
आज तक मैं नशे में रहता हूँ
तेरे इश्क का नशा मुझपर ऐसे छाया हुआ है
जैसे कोई पूरी बोतल पीकर आया हुआ है
ये ना पूछ मैं शराबी क्यूँ हुआ,बस यूँ समझ ले,
गमों के बोझ से,नशे की बोतल सस्ती लगी!
नशा सिर्फ में प्यार में देखा है
तेरे जाने के बाद सब पानी होते देखा है
नशा मोहब्बत का हो या, शराब का, होश दोनों में खो जाता है,
फर्क सिर्फ इतना है, शराब सुला देती है, और, मोहब्बत रुला देती है.
पीने वालों के लिये दारू एक नशा है,
पर हम जैसे दिल टूटे हुए आशिको के लिऐ अमृत हैं
मोहब्बत दो लोगों के बीच का नशा है¸
जिसे पहले होश आ जाए वह बेवफा है।
ऐ दोस्त मेरे पीने का अंदाज देख,
अक्सर शराब में आँसू मिला के पीता हूँ।
रख ले 2-4 बोतल कफ़न में,
साथ बैठ कर पिया करेंगे,
जब माँगे गा हिसाब गुनाहों का,
एक पेग उससे भी दे दिया करेंगे
शराब का नशा तो हल्का है उतर जाएगा
पर इश्क का नशा चढ़ा कर देखो
जो वक्त के साथ बढ़ता जाएगा.!!
ताकत का नशा सबसे बुरा नशा होता है,
क्योंकि, जिसे ताकत का नशा होता है,
वो आंखें खुली हो कर भी देख नहीं पाता
कि वह कब गिरने वाला है ।
ग़म इस कदर बढ़े कि घबरा के पी गया,
इस दिल की बेबसी पे तरस खा के पी गया,
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना,
मैं आज सब जहान को ठुकरा के पी गया।
नशा तब दो
गुना हो जाता है,
जब जाम भी छलके
ओर आँसूं भी !!
तेरे इश्क का नशा मुझ पर कुछ इस कदर छाया है
तुझे देखने के लिए
ये चांद भी आज जमीन पर आया है..!!
ये खाली-खाली बोतलें जो हैं शराब की,
रातें हैं इन में बंद हमारे शबाब की।
क्यों ना इस मोहब्बत के नशे को किया जाए
इस नशे को करके पूरी ज़िंदगी को जिया जाए
नशा हम किया करते है इलज़ाम शराब को दिया करते है…
कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चहेरा हम जाम मै तलाश किया करते है…
फुक मारकर हम दिए को बुझा सकते है
पर अगरबत्ती को नहीं,
क्योकि जो महकता है उसे कौना बुझा सकता है
और जो जलता है वह खुद बुझ जाता है।
तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है,
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों,
यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।
महफ़िल-ए-इश्क़ सजाओ तो कोई बात बने,
दौलत-ए-इश्क़ लुटाओ तो कोई बात बने,
जाम हाथों से नहीं है पीना मुझको,
कभी आँखों से पिलाओ तो कोई बात बने।
इश्क ज़हर से भी भयंकर नशा है
और हमने बहुत ज्यादा चढ़ा रखा है
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे!!!!
वो चले गये हाथो मे जाम देकर
किसी के अकेलेपन का मजाक मत उडाना
आपके साथ जो भीड खडी है
वो अपने मतलब से खडी है।
मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है,
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात।
नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।
मय को मेरे सुरूर से हासिल सुरूर था
मैं था नशे में चूर नशा मुझ में चूर था
हर रोज़ पीता हूँ तेरे छोड़ जाने के ग़म में,
वर्ना पीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं,
बहुत याद आते है तेरे साथ बीताये हुये लम्हें,
वर्ना मर मर के जीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं
सुलझा हुआ इंसान वह है,
जो अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेता है.
और उन निर्णय के परिणाम के लिए,
किसी दूसरे को दोष नहीं देता.
यूँ बिगड़ी बहकी बातों का
कोई शौक़ नही है मुझको,
वो पुरानी शराब के जैसी है
असर सर से उतरता ही नहीं।
पीते थे शराब हम उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर,
महफ़िल में यारों ने पिलाई उसी की कसम देकर।
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल
जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी!
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख
सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी
सस्ती चीजें और घटिया लोग,
शुरू में हमेशा अच्छे लगते हैं.
थोड़ी सी पी शराब थोड़ी सी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी।
ये ना पूछ मैं शराबी क्यूँ हुआ, बस यूँ समझ ले,
गमों के बोझ से, नशे की बोतल सस्ती लगी।
महफ़िल में इस कदर पीने का दौर था
हमको पिलाने के लिए सबका जोर था,
पी गए हम इतनी यारो के कहने पर,
न अपना गौर था न ज़माने का गौर था
कितने भी अच्छे काम कर लो
लेकिन याद तभी आओगे
जब आप की दोबारा जरूरत होगी
तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है,
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था।
जाने कभी गुलाब लगती हे
जाने कभी शबाब लगती हे
तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे
में पिए रहु या न पिए रहु,
लड़खड़ाकर ही चलता हु
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे
इंसान इतना कमजोर है
कि सपने में भी डर जाता है
और बहादुर इतना होता है
कि गलत काम करते समय
ईश्वर से भी नहीं डरता …
देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार,
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
अपनी नशीली निगाहों को,
जरा झुका दीजिए जनाब
मेरे मजहब में नशा हराम है।
बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये,
के वो आज नजरों से अपनी पिलाये |
मजा तो तब ही पीने का यारो,
इधर हम पियें और नशा उनको आये
आप कितने भी अच्छे इंसान क्यों ना हो,
आप हमेशा किसी की कहानी में बुरे जरूर होते हैं…
रात गुमसूँ है मगर चेन खामोश नही,
कैसे कहदू आज फिर होश नही,
ऐसा डूबा तेरी आखो की गहराई मैं,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही
नशा पिला के गिराना तो
सब को आता है,
मज़ा तो तब है कि
गिरतों को थाम ले साक़ी।
मे तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती
मे जवाब बनता अगर तू सबाल होती
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर में भी पी लेता अगर तू शराब होती
यहाँ कोई न जी सका, न जी सकेगा होश में,
मिटा दे नाम होश का,शराब ला शराब ला
पीठ पीछे बुराई करने वालों पर,
ध्यान नहीं देना चाहिए.
जो मनुष्य पीठ पीछे बुराई करता है,
वह समाज में कभी ऊंचा स्थान नहीं पाता…
न दिल में कोई ग़म रहे न मेरी आँख नम रहे,
हर एक दर्द को मिटा शराब ला शराब दे
मेरे अश्क भी हैं इस में, ये शराब उबल न जाए,
मेरा जाम छूने वाले तेरा हाथ जल न जाए
मेरी तबाही का इल्ज़ाम अब शराब पे है,
मैं और करता भी क्या, तुम पे आ रही थी बात