Sufi Shayari In Hindi : हेलो दोस्तों, आज हम आपके लिए शानदार सूफी शायरी का एक बेहतरीन संग्रह लेकर आए हैं। अगर आप भी सूफी शायरी की तलाश में हैं, तो यहां आपको हिंदी में सूफी शायरी और उसके साथ सूफी शायरी की इमेजेस भी मिलेंगी। आप इन शायरियों को अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर स्टोरी के रूप में शेयर कर सकते हैं।
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“दिल से जो बात निकलती है असर रखती है,
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है।”
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही है
तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
जाम हाथ में हो और होंठ सूखे हुये,
मुआफ करना यारो इतने सूफी हम नहीं हुये।
“इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरी कर दे,
इश्क़ तो वो है जो तुझे ख़ुदा से मिला दे।”
तेरी आवाज है कि सूफी का कोई नग्मा है,
जिसे सुनूँ तो सुकूँ जन्नतों सा मिलता है।
दिल से जो बात निकलती है, असर रखती है,
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है।
खुदा से वही मिल पाता है,
जो खुद को फना कर जाता है।
इश्क़ को दिल में बसा कर देख,
खुदा तेरे करीब होगा।
मोहब्बत और इबादत में फर्क नहीं होता,
दोनों में खुद को खोना पड़ता है।
जब तक खुद को खुदा के हवाले नहीं करते,
तब तक सुकून नहीं मिलता।
रूह की प्यास तभी बुझती है,
जब दिल में खुदा का नूर उतरता है।
इस दिल में बस उसी का घर होता है,
जो खुद को इश्क़ में फना कर देता है।
मोहब्बत की गहराई को समझने के लिए,
दिल को खुदा के करीब लाना होता है।
इश्क़ वो है जो रूह को पाक कर दे,
जो दिल में खुदा को बसा दे।
जब दिल में खुदा का नाम होता है,
तब हर सांस में उसका सलाम होता है।
इश्क़-ए-खुदा वही जानता है,
जो दुनिया से दूर होकर खुदा के पास जाता है।
मोहब्बत का असली मतलब वही समझता है,
जिसने दिल को खुदा के हवाले किया है।
भगवा भी है रंग उसका सूफी भी
इश्क की होती है ऐसी खूबी ही
दिल की गहराइयों में बसा है खुदा,
इसे तलाश कर, वो तेरा साया होगा।
जान से हो गए बदन ख़ाली
जिस तरफ़ तू ने आँख भर देखा
जब तक दिल में खुदा का नाम नहीं होता,
तब तक कोई भी इश्क़ मुकम्मल नहीं होता।
रूह को जब तक इश्क़-ए-खुदा का पानी नहीं मिलता,
तब तक उसकी प्यास नहीं बुझती।
मोहब्बत का असली मक़सद खुदा से मिलन है,
यही हर सूफी की दुआ होती है।
दिल का दरिया जब खुदा के नाम से भरता है,
तब इश्क़ की असली गहराई महसूस होती है।
खुदा के नाम पर दिल की बस्ती बसाओ,
हर सांस में उसकी रहमत का एहसास पाओ।
जब दिल में खुदा की याद आती है,
तब मोहब्बत की असली राह मिलती है।
रूह का सफर तभी मुकम्मल होता है,
जब वो खुदा के इश्क़ में डूब जाती है।
तेरी आरजू में हो जाऊं ऐसे मस्त मलंग,
बेफिक्र हो जाऊं दुनिया से किनारा करके।
तुम जानते नहीं मेरे दर्द का कमाल
तुम को जहाँ मिला सारा, मुझे बस खुदा
दिल का हाल वही जानता है,
जिसने खुद को इश्क़-ए-खुदा में समर्पित किया है।
जब तक खुदा का नाम दिल में नहीं होता,
तब तक इश्क़ का सफर अधूरा होता है।
दिल की राह में बस खुदा का नाम होता है,
तभी मोहब्बत का असली मकसद पूरा होता है।
मोहब्बत और खुदा एक ही राह के मुसाफिर हैं,
बस दिल में उसे बसा लो, सब कुछ मिल जाएगा।
रूह की तड़प तब खत्म होती है,
जब दिल में खुदा का इश्क़ होता है।
जब कमान तेरे हाथों में हो फिर कैसा डर मुझे तीर से
मुर्शिद मैं जानता हूँ तुम इश्क़ करती हो मुझ फ़क़ीर से
तेरे इश्क मे हम सब से जुदा हो गए
सूफी हम और खुदा तुम हो गए !
दरिया से मौज मौज से दरिया जुदा नहीं
हम से जुदा नहीं है ख़ुदा और ख़ुदा से हम
इलाही कुछ फेर-बदल कर दस्तूर में
मैं सवाली बनूँगा और वो ख़ैरात बने
कतरे कतरे पर खुदा की निगाहे करम है..
न तुम पर ज्यादा न हम पर कम है
मै वादा करता हूं कि मै तुम्हे
नहीं छोड़ूंगा और मै वादा करता
हूं कि मै उस वादे को नही तोड़ूंगा !
मोहब्बत का असली मक़सद खुदा से मिलन है,
यही हर सूफी का सफर होता है।
हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई
अब तो आ जा अब तो ख़ल्वत हो गई
जब तक दिल में खुदा का नूर नहीं होता,
तब तक इश्क़ का सफर अधूरा होता है।
अगर आप कभी गलत को
जाने नही देगे तो आपको
सही व्यक्ति कभी नही मिलेगा !
अपने दर्द मे मत खो जाना
एक दिन आपका दर्द ही
आपका इलाज बनेगा !
ज़ाहिर की आँख से न तमाशा करे कोई
हो देखना तो दीदा-ए-दिल वा करे कोई
मोहब्बत का असली मकसद खुदा से मिलन है,
यही हर सूफी की राह होती है।
मुझतक कब उन की बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में
जब तक दिल में खुदा का नाम नहीं होता,
तब तक मोहब्बत का सफर अधूरा होता है।
रूह का सुकून खुदा के इश्क़ में है,
उसे तलाश कर, सब कुछ मिल जाएगा।
मोहब्बत का असली मक़सद खुदा से मिलन है,
यही हर सूफी का सफर होता है।
तुम जानते नहीं मेरे दर्द का कमाल ,
तुम को जहाँ मिला सारा, मुझे बस खुदा
दिल का दरवाजा तब खुलता है,
जब खुदा की रहमत बरसती है।
फ़रेब-ए-जल्वा कहाँ तक ब-रू-ए-कार रहे
नक़ाब उठाओ कि कुछ दिन ज़रा बहार रहे
रूह की तड़प तब खत्म होती है,
जब दिल में खुदा का इश्क़ होता है।
तेरे क्या हुए सब से जुदा हो गए,
सूफी हो गए हम तुम खुदा हो गए।
दिल का सुकून खुदा के नाम में है,
उसे तलाश कर, सब कुछ पा जाएगा।
“इश्क़ की परवाज़ में उड़ना हर किसी के बस की बात नहीं,
इसे तो वही समझ सकता है, जिसने खुदा को दिल में बसाया हो।”
“राहत वहीं मिलती है जहां खुदा का नाम होता है,
दिल के हर कोने में उसकी रहमत बरसती है।”
“दिल का सफर वहीं मुकम्मल होता है,
जब खुदा उसमें अपना ठिकाना बना लेता है।”
“रूह की तड़प सिर्फ उस वक्त खत्म होती है,
जब दिल में खुदा का बसेरा होता है।”
“दिल की गहराई में बसता है खुदा का नूर,
उसकी तलाश में निकल, वहीं सुकून है।”
“इश्क़-ए-खुदा ही दिल का असली मकसद है,
बाकी सब तो बस एक फानी साया है।”
“खुदा की तलाश में दिल को बेकरार कर,
वहीं असली मोहब्बत का राज़ छिपा है।”
“जिस पर खुदा की रहमत का साया होता है,
उसका हर कदम इश्क़-ए-खुदा की तरफ होता है।”
“दिल की दुनिया को बस खुदा के नाम से सजा,
वही सबसे हसीन मुकाम है।”
“इश्क़ का समर्पण तब मुकम्मल होता है,
जब दिल खुदा के आगे झुकता है।”
“इश्क़ और खुदा की राह में चलना आसान नहीं,
पर जो चलता है, वही सुकून पाता है।”
“खुदा का दीदार वही करता है,
जिसने इश्क़ में खुद को खोया है।”
“इश्क़ की राह वही है जो दिल को पाक कर दे,
और खुदा से मिलन का जरिया बने।”
“दिल की दौलत वही है जिसमें खुदा का नाम हो,
बाकी सब तो बस एक फानी साया है।”
“मोहब्बत का सफर वही मुकम्मल होता है,
जब दिल में खुदा का नूर बस जाता है।”