Narazgi Shayari In Hindi : दोस्त जीवन के सबसे खास और अनमोल हिस्से होते हैं। हमारे जीवन में ऐसे कई क्षण आते हैं जब हमें दोस्ती का महत्व समझ में आता है। लेकिन कभी-कभी छोटी-मोटी गलतफहमियों या मतभेदों के कारण हमारे प्यारे दोस्त से दूरियां बढ़ जाती हैं। जब ऐसा होता है, तो स्थिति को समय रहते सुधारना और दोस्त को समझाना बहुत जरूरी होता है।
अगर आप भी अपने करीबी दोस्त के साथ किसी बात पर झगड़ गए हैं या नाराज हैं, तो आप अपनी भावनाओं को साफ-साफ शेयर करें और उन्हें यह बताएं कि आप कितने महत्वपूर्ण हैं। एक सच्चा दोस्त हमेशा आपकी मंशा और भावनाओं को समझेगा।
इसलिए, आप उन्हें एक भावुक और सच्चे मैसेज के माध्यम से अपनी नाराजगी को दूर करने की कोशिश करें। तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आये हैं Narazgi Shayari In Hindi जिसे आप अपने स्टेटस या सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सकते हैं। अगर आपको यह Narazgi Shayari In Hindi अच्छा लगे तो दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजियेगा।
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जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई
ऐसे मिलने से तो बेहतर है जुदा हो जाना
हमारे बीच दूरियां बढ़ी है,
इसका मतलब ये थोड़ी कि
मैं उससे इश्क़ करना छोड़ दूँ।
नाराजगी वहाँ मत रखिएगा मेरे यार,
जहाँ आपको खुद बताना पड़े … आप नाराज हैं
नाराज़गी भी है लेकिन किसको दिखाऊं,
प्यार भी है लेकिन किस से जताऊँ,
वो रिश्ता ही क्या जिसमे भरोसा ही नहीं,
अब उनपर हक़ ही नहीं कैसे बताऊं
मुझसे यूँ नाराज़ ना रहा करो,
तुम्हारे बिन जी पाए,
इतना मज़बूत नहीं है ये दिल मेरा
मत पूछो कैसे गुज़र रहा है हर लम्हा तेरे बिना,
कभी बात करने की हसरत, कभी देखने की तमन्ना,
काश ये नाराज़गी थोड़ी कम हो जाती,
तेरे दिल से मेरे दिल की ये आदत कभी ना जाती!
ऊपर से गुस्सा दिल से प्यार करते हो
नज़रें चुराते हो दिल बेक़रार करते हो
लाख़ छुपाओ दुनिया से मुझे ख़बर है
तुम मुझे ख़ुद से भी ज्यादा प्यार करते हो…
सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
“हम तब तक ही खास है,
जब तक की वो मेरे साथ है।”
जहाँ नाराजगी की कद्र न हो
वहाँ नाराज होना छोड़ देना चाहिये
नसीबों का मारा मैं और तेरी मोहब्बत से हारा मैं,
तू दिल में बस गयी है ऐसे, तुझसे नाराज़गी में भी रोया मैं
नाराजगी वहाँ मत रखिएगा मेरे यार,
जहाँ आपको खुद बताना पड़े … आप नाराज हैं
जाने से पहले एक वजह बता पाते,
काश फिरसे कुछ पलों को हम यादगार बना पाते,
काश वो लम्हा फिरसे हमारे नज़दीक होने का,
एक आखिरी बार इन दूरियों को मिटा पाते!
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
तुम भी चली आया करो कभी मनाने मुझको,
यूं बेफज़ूल की नाराज़गी तुमसे, मेरी भी जान लेती है
“मैं ज़िंदगी के मेले में गुम हूँ, मुझे रास्ता मत दिखाओ।
मैं खुद के इश्क़ में गुम हूँ, मुझे बेवफाओं से मत मिलाओ।”
इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
सितम सारे हमारे, छाँट लिया करो,
नाराज़गी से अच्छा है, डाँट लिया करो
“नाराज़गी में ही सही,
लेकिन वो हम से दूर हो गए।”
इंसान की हर बात खामोशी से मान लेना
यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का
कैसे नराज़गी जतायें उन से, जब दिमाग इलज़ाम लगाता है तो
दिल उनकी वकालत के लिए खड़ा हो जाता है
जहाँ नाराजगी की कद्र न हो
वहाँ नाराज होना छोड़ देना चाहिये
बेशक तुम्हे हमसे रूठ जाने का हक़्क़ है,
हम मना भी लेंगे,
मगर नाराज़गी इतनी बढ़ जाएगी सोचा ना था,
कोई नहीं आज इस गम को भी दिल में बसा लेंगे!
“बड़े शहरों का मैं नहीं,
लेकिन इस शहर कोई किसी का नहीं होता।”
ना आँखों में चमक ना होंठों पर कोई हलचल है ,
तेरी नाराजगी का ऐसा असर है कि अब तो गम हर पल है
नाराज़ होकर भी Narajgi न दिखाना,
मेरी ये एक अदा है तुमसे नाराज़ होने की,
पर तुम समझते ही नहीं
आज कुछ लिख नही पा रहा
शायद कलम को मुझसे नाराजगी है
आज हर फ़रियाद तेरी तस्वीर जानती है,
मैं रूठ जाऊं तो वो प्यार से मानती है,
काश उस तस्वीर को एक बार फिर नायाब कर पाते,
के आज एक आखिरी बार तुझे अपने काँधे सुला पाते!”
“बड़े शहर की सबसे खास बात,
यहाँ हर कोई हर किसी की बात से खफा है।”
वो पूछे हमसे, तुम्हे नाराज़गी मुझसे क्यों है,
अचानक मन ने धीमी आवाज़ में कहा,
तुम्हे हर उम्मीद भी तो उनसे ही थी!
चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है
लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई
अगर कोई आपको सच में प्यार करता है
तो वो हजार बातों पर आपसे नाराज़ हो जाएगा
पर कभी आपको छोड़ कर नहीं जाएगा
ज़िंदगी की रिहाई से नहीं,
तुम्हारी नाराज़गी से डर लगता है।
मैं ज़िंदगी के मेले में गुम हूँ, मुझे रास्ता मत दिखाओ।
मैं खुद के इश्क़ में गुम हूँ, मुझे बेवफाओं से मत मिलाओ।
मैं तुमसे लड़ सकता हूँ, नाराज़ हो सकता हूँ
लेकिन कभी नफरत नहीं कर सकता
किसी को मनाने से पहले यह अवश्य जान लें
कि वो तुमसे नाराज है या परेशान
नाराज़ मैं अपने आप से हूँ,
जो समझते है मैं उन से नाराज़ हूँ वो मेरे अपने थोड़ी है।
इश्क़ में नाराज़गी नहीं हुई,
तो फिर आपको इश्क़ भी नहीं हुई।
बेशक मुझपे गुस्सा करने का हक़ है तुम्हे
पर नाराजगी में हमारा प्यार मत भूल जाना
मुझसे यूँ नाराज़ ना रहा करो,
तुम्हारे बिन जी पाए,
इतना मज़बूत नहीं है ये दिल मेरा !
इश्क़ करने की इकलौती शर्त है,
दोनों लोगों को नाराज़ होने का हक़ है।
अगर तेरी नाराज़गी, तेरी मजबूरी है,
तो रहने दे, मुझे मानना नहीं जरुरी है।
मुझे खुद से नफरत करने का कारण यह है कि
मैं अभी भी आपके बारे में सोच रहा हूं।
नाराजगी भी बड़ी प्यारी सी चीज है,
चंद पलो मे प्यार को दुगुना कर देती हैं
आज उसको मेरी नाराज़गी नज़र ना आई,
कुछ यूँ नज़रअंदाज़ कर दिया उसने इस दिल को,
के समझ तो जाता है ये इश्क़ नहीं कुछ और है,
पर कम्भखत समझा नहीं पाता हूँ इस दिल को!
हम तो नाराज़ होने का नाटक कर रहे थे,
उन्होंने सही समझ लिया।
इश्क़ करने की इकलौती शर्त है
दोनों लोगों को नाराज़ होने का हक़ है।
भले ही मैं तुमसे बहुत नफरत करता हूँ फिर भी
मैं तुमसे प्यार करना बंद नहीं कर सकता
इंसान की हर बात खामोशी से मान लेना
यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का
तन्हाई से नहीं,
हम नाराज़गी से डरते है।
तुम रूठो तो, तुम्हे मनाने आ जाएंगे
हम रूठे भी तो बताओ किस के भरोसे
आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं, इसकी मुझे कोई परवाह नहीं
क्योंकि आप मुझे कभी भी मुझसे ज्यादा नफरत नहीं कर पाएंगे।
नाराजगी किसी से नहीं बस कुछ लोग
मन से ऐसे उतरे की अब दिखते ही नही
मेरे हिसाब से ज़िंदगी बहुत छोटी है,
नाराज़गी के लिए।
न जाना इतना भी दूर कि हम आपसे मिल न पायें,
करते रहना याद हमें , कहीं आपके दिल से हम निकल न जायें।
मैं तुमसे, तुमसे और बस तुमसे नफरत करता हूँ,
और तुम जानते हो कि ये स्टेटस किसके लिए है
कुछ लिखूं कैसे, दिलो दिमाग पर तुम बैठी हो
मैं आज काम पर कैसे जाऊं, नाराज़ हो कर तुम बैठी हो
मानने वाले हो तो,
हम भी नाराज़ हो जाय।
मेरी आवारगी को तुम नादानी न समझना,
जुदा जो हूं मैं तुमसे…सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए।
ये जो तुम्हारे चेहरे पर हमेशा झूठी स्माइल रहती है,
बस उसी से मुझे सबसे ज्यादा नफरत है
ना आँखों में चमक ना होंठों पर कोई हलचल है ,
तेरी नाराजगी का ऐसा असर है कि अब तो गम हर पल है
हमें डर इस बात का है कि जो हम से नाराज़ है,
वो कहीं हम से दूर ना हो जाएँ।
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे…
बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया
मैं जहां भी जाऊं, चाहे कुछ भी करूं या चाहे कितना ही बूढ़ा हो जाऊं,
मैं हमेशा अपना दिल तोड़ने के लिए तुमसे नफरत करूंगा।
आपकी नाराजगी हम सह नहीं सकते,
आप उदास हो तो हम खुश रह नहीं सकते।
आपकी नाराजगी हमें अंदर से परेशान कर देती है।
हम कितना भी ऊपर से खुश रहने की कोशिश करे,
पर वह हमें अंदर से दुखी कर देती है।
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना
तेरी हर बात को खामोशी से मान लेता हूँ,
ये भी मेरा एक अंदाज़ है Narajgi जताने का
कभी आप हमसे नाराज मत होना।
नाराजगी में हमें छोड़कर मत जाना,
वरना हम आपके बिना कैसे रह पाएंगे,
इसीलिए हमारा कभी दिल तोड़ कर मत जाना।
तु हर साँस के साथ याद आती है
अब तु ही बता तेरी याद को रोक दूँ या अपनी साँस को
मुझे नफरत है,
जब GoodBye कहना ही आखरी रास्ता है
तुम्हें खुश रखने का
झगड़ा तब होता है जब शिकायत होती है
और शिकायतें उनसे होती है जिनसे प्यार होता है
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एक बार फिर से रूठना है तुमसे,
बस नाराज़ होने का हक़ इस बार मुझे देना
मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी नाराजगी से डरता हूं।
मुझे किसी से फर्क नहीं पड़ता।
मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी फिक्र करता हूं।
हम उनसे नाराज थे
और उन्होंने हमें नाराज ही रहने दिया
मैंने जब भी तुम्हें देखा है, अपने ख्वाबों में देखा है।
मैंने जब भी तुम्हें चाहा है, अपने दिल से चाहा है।
मुस्कुराने से भी होता है ग़में-दिल बयां
मुझे रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं
हमें कहाँ है सलीका नाराज़ होने का,
वो मुस्कुरा भी जाते तो हम मान जाते
न जाने किस बात पे नाराज हैं वो हमसे…..!!
ख्वाबों में भी मिलती है तो बात नहीं करती….!!
वास्तव में मुझे यह देखकर दुख होता है
कि तुम मेरे बिना बिल्कुल रह रहे हो …
मैं तुमसे बेहद नफरत करती हूं!
किस बात पे खफा हो, नाराज लग रहे हो…
लगते हो जैसे हरदम, ना आज लग रहे हो ।
“ना जाने किसकी नज़र लगी,
कुछ ऐसी हमने एक दूसरे को सज़ा दी,
ये ज़िंदगी हमने नाराज़गी में ही गुज़ार दी।”
मैं ये नहीं चाहती की आप मेरी हर बात पर सहमत रहो पर मैं ये भी चाहती हूँ की
आप समझो के मेरा भी अपना कोई दृष्टिकोण है
नाराज़ होते हो तो ख़याल रखना,
दिल टूट जाता है तुम्हारी नाराजगी से।
चाहे मैं आपके साथ हर समय लड़ती रहूं
पर फिर भी मुझे तुम्हारी जरूरत रहेगी
काश मैं एक ऐसी दुनिया में रहती जहां कोई फर्क नहीं पड़ता कि
आपके रिश्ते में क्या हुआ है
चेहरे पर मुस्कान है, पर दिल उदास है,
तुम्हारी नाराज़ी से ये ज़िंदगी बेहाल है।
मुझे अपने प्यार में डालने के लिए
मई तुमसे नफरत करती हूँ
नाराजगी में भी है कुछ ख़ास बातें,
मोहब्बत का इज़हार होता है सबसे अलग।
मैं तुमसे उतनी ही नफरत करती हूँ
जितनी मैं कभी तुमसे प्यार किया करती थी
जब तक मैं तुम्हारे साथ बहस करूँ तो चिंता मत करना
पर जब मैं बहस करनी बंद कर दूँ
तो समझ जाना कि हमारे बीच अब कुछ नहीं रहा
कभी कभी हम अपने आप को भी खो देते हैं
किसी और को चाहते चाहते
जिंदगी में अपनापन तो हर कोई दिखाता है
पर अपना हैं कौन ?यह वक़्त ही बताता हैं
अगर लोग बिना किसी कारण के आपसे नफरत करते हैं,
तो उन्हें एक अच्छा कारण दो
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना
तुम्हे मूर्ख कहना वहां के सभी मूर्ख लोगों का अपमान होगा।
मुझे बस तुमसे नफरत है!
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही लेकिन
रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं
मुझे हर चीज़ से नफरत है,
यहां तक कि अपनी ज़िन्दगी से भी
वो पगली आज बरसो बाद मिली तो गले लगकर खूब रोई में हल्का सा मुस्कुराया
और बोला तुम वही होना जिसने कहा था तुम्हारे जैसे तो हजारो मिलेंगे
मुझे नहीं पता कि मैं कभी-कभी ऐसे मूड में क्यों आता हूं,
जहां मैं खुद से, अपने जीवन से और मेरे आसपास के लोगों से, सबसे नफरत करता हूँ
तु हर साँस के साथ याद आती है
अब तु ही बता तेरी याद को रोक दूँ या अपनी साँस को
मुझे इससे नफरत है जब मैं लोगों को अपना लेता हूं
और वे केवल मुझे एक विकल्प के रूप में मानते हैं।
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने
कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं
वादे झूठ से भी बदतर होते हैं
क्योंकि आप सिर्फ उन्हें विश्वास नहीं कराते,
आप उन्हें भी खोखला बना देते हैं
वो रोए तो बहुत, पर मुझसे मूह मोड़ कर रोए
कोई मजबूरी होगी तो दिल तोड़ कर रोए
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े
पता चला मेरे पीछे वो उन्हे जोड़ कर रोए
अगर नाराज़ हो रहे हो मेरी इन नादाँ हरकतों से दोस्तों,
बस कुछ दिन की ही बात है फिर चला जाऊँगा तुम्हारे इस जहां से
मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन है की
कोई मुझे छोड़ सकता है लेकिन भूल नही सकता
एक बात बताओ, ये जो तुम नाराज़ हो..
तुम्हें मनाने के लिए कोनसे ब्रांड की चप्पल लाऊँ
ठुकरा दिया तूने अच्छा किया
मुझे मोहब्बत चाहिए अहसान नहीं
भागे चले आते थे कभी दोस्त मनाने के लिए मुझे,
मगर अब ना जाने उन्हें हमारी Narajgi क्यों नहीं दिखती
कोई खास फर्क नहीं पड़ता अब ख़्वाहिशें अधूरी रहने पर
बहुत करीब से कुछ सपनों को टूटते हुये देखा है मैंने
हम नाराज हैं दोस्तों से और मनाना तो दूर की बात है
वो वजह भी नहीं पूछ रहे
खुशी केवल उन्हीं लोगों को प्राप्त होती है
जो दूसरों को खुश करने में प्रयास karte रहते हैं
वक़्त उनके पास भी न रहा, वक़्त हमारे पास भी न रहा,
नाराज़गी तो है हमारे दरम्यान, पता नहीं किसने किसको क्या कहा