Umeed Shayari In Hindi : उम्मीद एक ऐसा शब्द है जो जीवन में नई रोशनी और नए सपनों का संचार करता है। किसी ने सही ही कहा है कि “उम्मीद एक जिंदा शब्द है” क्योंकि यह शब्द केवल शब्द मात्र नहीं है, बल्कि यह जीवन का सार और प्रेरणा का स्रोत भी है। उम्मीद एक ऐसा अदृश्य धागा है जो व्यक्ति को कठिन से कठिन समय में भी आगे बढ़ने का हौसला देता है। जब इंसान के जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, समस्याएँ घेर लेती हैं, तब यही उम्मीद होती है जो उसे निराशा से निकालकर नए रास्तों की ओर ले जाती है।
उम्मीद का टूटना किसी व्यक्ति के लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं होता। जब इंसान की उम्मीद टूटती है, तो उसका आत्मबल कमजोर पड़ने लगता है, उसकी ज़िंदगी में उदासी और मायूसी घर कर जाती है। उम्मीद के सहारे ही व्यक्ति अपने जीवन के कठिन समय में भी जीवित रहता है, और उम्मीद के टूटने से ही उसका हौसला कमजोर हो जाता है। यह सच है कि बिना उम्मीद के जीवन की कल्पना करना कठिन है, क्योंकि यही वह चीज़ है जो इंसान को जिंदा रहने का मकसद देती है। इसलिए, इस पोस्ट में हमने नई और ताजगी से भरी शायरियों का चुनाव किया है जो आपको सहारा देगी। अगर आपको यह Umeed Shayari In Hindi पसंद आये तो अपने प्रियजन के साथ शेयर जरूर कीजियेगा।
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उम्मीद ना कर इस दुनिया में हमदर्दी की,
बड़े प्यार से जख्म देते हैं शिद्दत से चाहने वाले।
“उम्मीदों का मकान अक्सर अपनों के आगे ढहता देखा है,
मैने अपनों को अपने सामने रोते देखा है,
कुछ अपने ही थे उनकी उम्मीदों को रौदने वाले,
मैने खुद की ही उम्मीदों को टूटते देखा है!
उम्मीद खुद से रखो कभी
औरों से नहीं यहां खुद के
सिवा कोई किसी का नहीं।
हम हौसलों और उम्मीदों से चलते है,
हम अपने मंज़िल पर पहुंच के ही दम लेंगे।
सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।
सपनों की दुनिया में खुशियों को आजमाया है,
मैने अपनी दुनिया खुद से बनाया है,
दिल से हर उम्मीद को सजाया है,
मैने हर चाहत को अपने दिल में बसाया है!
उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा
सहारा है गर हौसला है तो
हर मौज में किनारा है।
बहुत चमक है उन आँखों में अब भी
इंतज़ार नहीं बुझा पाया है उम्मीद की लौ
रहे ऐ शमा तू रोश़न दुआ देता है ये परवाना,
जिन्हें किस्मत में जलना है वो जल कर याद आते हैं।
फिर एक दिन चाहत ने अपना रुख मोड़ा,
मुझे प्यार के रास्ते ला के छोड़ा,
खुदको रोकने की सारी कोशिशें की थी मैने,
मगर का जाने किस मैने अपने आप को इस दुख से जोड़ा!
बुरे वक्त में किसी से कोई
उम्मीद मत रखो क्योकिं
समझौते शेर को भी कुत्ता
बना देते हैं।
भुलाये किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से,
छलक जाते हैं जब आँसू वो सागर याद आते हैं।
अब आज उसकी लौटने की उम्मीद लिए बैठे हैं,
हम हर याद को उसकी अपने दिल में सीए बैठे हैं,
लाखों लोगों की चाहत है तू ये तो हम भी जानते हैं,
मगर आज भी हम इस मोहब्बत का घूंट पीए बैठे हैं!
इस दिल की उम्मीदों का हौसला
तो देखो दोस्तो इंतज़ार भी उसका
है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
अगर आप में उम्मीद और हौसला है
तो हर मंज़िल पार कर सकते है
किसी सुर्ख लब के चमक सी दिये की लौ मचलती थी,
जहाँ की थी कभी पूजा वो मन्दिर आज याद आते हैं।
एक उम्मीद थी आपसे मिलने की लेकिन अब तो वो भी टूट
गई वफ़ादारी की आदत थी हमें अब शायद वो भी छूट गई
उम्मीद है की एक दिन सब बदल जाएगा,
जो दूर है वो भी करीब नज़र आयेगा,
छटेंगे बादल अंधेरे के इस दिल से,
फिर एक बार दुनिया का कारवां बन जाएगा!”
“किस से करें अब वफा की उम्मीद,
के अब तो मिट्टी के बने लोग भी कागजों के भाव बिक जाते हैं!”
तपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया
की उम्मीद लिए सदियों से इन्सान
का अपने आपको छलना जारी है।
नजर में शोखियां लब पर मोहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की ज़द में अभी सारा ज़माना है
“उम्मीद ना कर इस दुनिया से,
यह हमदर्द ही होते हैं,
जो ज़ख्म भी शिद्दत से देते हैं!”
उम्मीद पर यूँ पानी ना
फिराओ हम जगे हुए है
यूँ रात को ना सुलाओ।
“जीने का तरीका बदलो,
सब बदल जाएगा,
उम्मीदों के सहारे ना जीकर,
जिद्द से रिश्ता जोड़ो,
तो जीने का मज़ा भी आयेगा!”
अगर आप में उम्मीद और
हौसला है तो आप हर मंज़िल
पार कर सकते है।
उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है
गर हौसला है तो हर मौज में किनारा है
हमें तो प्यार के दो लफ्ज भी नसीब नहीं,
और बदनाम ऐसे हैं जैसे इश्क के बादशाह थे हम।
मंज़िलें क्या हैं, रास्ता क्या है
हौसला हो तो फ़ासला क्या है
तेरे आने की अब उम्मीद
नहीं करता अपने आप को
समझा चूका हूँ मैं।
तेरे आने का अब उम्मीद नहीं करता
अपने आप को समझा चूका हूँ मैं
भँवर से कैसे बच पाया किसी पतवार से पूछो
हमारा हौसला पूछो, तो फिर मझधार से पूछो
जो वादा किया था हम ने किसी के साथ,
उस वादे को दिल से निभा के रोये हैं।
कभी भी किसी के साथ
इतनी भी उम्मीद मत रखो
की उम्मीद के साथ तुम भी
टूट जाओ।
एक उम्मीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात भर
जिस ने हमें अपने क़दमों तले भी जगह न दी,
हम उस शख्स को पलकों पे बिठा के रोये हैं।
किसी की याद को दिल में बसा के रोये हैं,
किसी की तस्बीर को सीने से लगा के रोये हैं।
में हमेंशा खुश रहता हु क्यों
क्योकि में किसी से कोई
उम्मीद नहीं रखता उम्मीद
हमेंशा दर्द देती है।
इतना भी मत रुठ मुझसे,
कि तुझे मनाने की उम्मीद ही खत्म हो जाए
इस दिल का हौसला तो देखो यारो
इंतजार भी उसका है जो नसीब में ही नहीं है
हिम्मत, ताकत, प्यार, भरोसा जो है सब इनसे ही है
कुछ नम्बर हैं जिन पर मैंने अक्सर फोन लगाया है
जिस शख्स को हमारी ज़रुरत ही नहीं थी,
हम उस शख्स को अपनी आरजू बना के रोये हैं।
हो सके तो प्यार कर लेना
मगर किसी से उम्मीद कभी
मत करना क्योकि तकलीफ़
मोहब्बत नहीं बल्कि उम्मीदे
देती है।
अपने निराश में थोड़ी उम्मीद की किरण को जगाओ
आगे बढ़ने में आसानी होगी
तू कहीं आस-पास था वो तिरा इल्तिबास था
मैं उसे देखता रहा फिर मुझे नींद आ गई
अभी मशरूफ हूँ काफी,
कभी फुर्सत से सोचूंगा,
कि तुझको याद रखने में,
मैं क्या क्या भूल जाता हूँ।
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे
याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना,
यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कराते हुए हम मिल जायेंगे।
बिखर के फूल फ़ज़ाओं में बास छोड़ गया
तमाम रंग यहीं आस-पास छोड़ गया
अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो इसे मौत न समझना,
ऐसा हुआ है अक्सर तुझे याद करते करते।
इंसान को इंसान कभी धोखा
नहीं देता बल्कि वो उम्मीदे देती
है जो वो दुसरो से रखता है।
सुना है हमने भी की उम्मीद
पर जीता है सारा जमाना
क्या करे वो जिनकी कोई
उम्मीद ही न हों।
महसूस कर रहा था उसे अपने आस पास
अपना ख़याल ख़ुद ही बदलना पड़ा मुझे
किस हद तक जाना है ये कौन जानता है,
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है,
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो,
किस रोज़ बिछड जाना है ये कौन जानता है।
जिन्दगी ने मुझे एक बात
सीखा दी की अपने आप ही
खुश रहना मगर किसी से
कोई उम्मीद मत रखना।
भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ
इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िन्दगी के दो जहाँ है,
इश्क़ मेरा रूह तो दोस्ती मेरा ईमान है,
इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी सारी ज़िन्दगी,
मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है।
एक उम्मीद थी आपसे मिलने
की लेकिन अब तो वो भी टूट
गई वफ़ादारी की आदत थी
हमें अब शायद वो भी छूट गई।
सब की हिम्मत नहीं ज़माने में
लोग डरते हैं मुस्कुराने में
जिन्दगी से हम अपनी
कुछ उधार नहीं लेते
कफन भी लेते है तो अपनी
जिन्दगी देकर।
ये दिल मलूल भी कम है उदास भी कम है
कई दिनों से कोई आस पास भी कम है
ज़िन्दगी एक मिनट में नहीं
बदलती पर कोई भी निर्णय
लेने से पहले अगर एक मिनट
सोच ले तो ज़िन्दगी बदल सकती है।
मुझको जीने का हौसला दीजे
वरना रिश्तों का फ़ाएदा क्या है
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म
जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम
वो जिसकी याद ने जीना मुहाल कर रखा है
उसी की आस ने मुझको सँभाल कर रखा है
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काश उनको कभी फुर्सत में ये ख़याल आए
कि कोई याद करता है उन्हें जिंदगी समझकर
चिलचिलाती धूप है और पैर में चप्पल नहीं
जिस्म घायल है मगर ये हौसला घायल नहीं
कोशिश तो बहुत की मगर उनका साथ न मिला,
यादो में बनाना चाहता था जिनके लिए एक किला
आस-पास देखा था मैंने फूट के रोने से पहले
जैसे कोई जेबें देखे कपड़े धोने से पहले
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको
हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं
दिन ढल गया और रात गुज़रने की आस में
सूरज नदी में डूब गया, हम गिलास में
नाकामयाब मोहब्बत ही सच्ची होती है
मयाब होने के बाद मोहब्बत नहीं बचती
सफ़र में मुश्किलें आएँ तो जुरअत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है
हर रोज़ करते है तुम्हारे लौट आने की तमन्ना
इसलिए दिन रात रहने लगे अब चौकन्ना
उन्हें क्या पता जो कहते है हर वक़्त रोया ना करो
मैं कैसे समझाऊं कुछ दर्द सहने के काबिल नही होते
इरादा तो नहीं है ख़ुद-कुशी का
मगर मैं ज़िंदगी से ख़ुश नहीं हूँ
ये प्यार का भी अलग दस्तूर है साहब
एक तर्फे से शुरू हो के बेवफाई पर खत्म होता है
न जाने क्यूँ गले से लगने की हिम्मत नहीं होती
न जाने क्यूँ पिता के सामने बेटे नहीं खुलते
अक्सर दिखावे का प्यार ही शोर करता है
सच्ची मोहब्बत तो इशारों में ही सिमट जाती है
सारी हिम्मत टूट गयी, बच्चों से ये सुनकर
अब भूखे पेट गुज़ारा करने की हिम्मत है
कभी-कभी जिंदगी इस कदर तनहा कर देती है
फिर जिन्दगी से प्यारी मौत लगने लगती है
हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए
कभी तो हौसला कर के ‘नहीं’ कहा जाए
अपने क़दमों के निशान मेरे रास्ते से हटा दो
कहीं ये ना हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊं
मैं तुझे खो के भी ज़िंदा हूँ ये देखा तूने?
किस क़दर हौसला हारे हुए इंसान में है
वो बहुत चालाक है लेकिन अगर हिम्मत करें
पहला पहला झूट है उस को यक़ीं आ जाएगा
इकरार करनी है वो दिल दे अरमाँ,
दिल का यूँ उलझे रहना अब सहा नहीं जाता
हमने ही लौटने का इरादा नहीं किया
उसने भी भूल जाने का वादा नहीं किया
आपके ज़िक्र के बिना कैसे अपनी पूरी कहानी लिखूँ
बताइये आपको वफ़ा लिखूँ या अपनी जिन्दगानी लिखूँ
करके थोड़ी हिम्मत लिखना चाहता हूँ
नेताओं को लानत लिखना चाहता हूँ
हम उस तकदीर के सबसे पसंदीदा खिलौना हैं
वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए
रास्ता जब इश्क का मौज़ूद है
फिर किसी की क्यूँ इबादत कीजिये?
ये प्यार का भी अलग दस्तूर है शाहब ,
एक तर्फे से शुरू हो के बेवफाई पर खत्म होती है
और आसान नहीं हो सकता फ़रियादों को पूरा करना
एक ही आस लगा रक्खी है, ख़ुदा सभी बन्दों ने तुझसे
कभी फुरसत मिले तो देख लेना एक बार
किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी है
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ।
अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े,
हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।
ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर,
तू एक शख्स को मेरा ना कर सकी।
मेरी मुस्कराहट को हकीकत ना समझ ऐ दोस्त,
दिल में झांक कर देख कितने उदास हैं हम।
सहर की आस लगाए हुए हैं वो कि जिन्हें
कमान ए शब से चले तीर की ख़बर भी नहीं
जँचने लगा है दर्द मुझे आपका दिया
बर्बाद करने वाले ने ही आसरा दिया
तुझे जब देखता हूँ तो खुद अपनी याद आती है,
मेरा अंदाज़ हँसने का कभी तेरे ही जैसा था।
हर वक्त मिलती रहती है, मुझे अनजानी सी सजा,
मैं कैसे पूछूं तकदीर से कि, मेरा कसूर क्या है?
सहर की आस लगाए हुए हैं वो कि जिन्हें
कमान ए शब से चले तीर की ख़बर भी नहीं
उजड़ जाते हैं सर से पाँव तक वो लोग जो,
किसी बेपरवाह से बेपनाह मोहब्बत करते हैं।
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की,
ये तेरी आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी।
जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
हमने तुम्हें उस दिन से और भी ज़्यादा चाहा है,
जबसे मालूम हुआ तुम हमारे होना नही चाहते।
तू बदनाम ना हो इसीलिए जी रहा हूँ मैं,
वरना मरने का इरादा तो रोज होता है।
एक बात सिखाई है तजुर्वे ने हमें,
एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवा है।